आर्थिक एवं तकनीकी छात्र-इंटर्न: इस वर्ष पहली बार, आईआईटी, आईआईएम, एनआईएलएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्यार्थियों को आयोजन में इंटर्न के रूप में शामिल किया गया है। ये युवा ‘श्री जगन्नाथ धाम’ मोबाइल एप के माध्यम से लॉजिस्टिक्स, डेटा एनालिटिक्स, रूट मैनेजमेंट, और क्राउड एनालिसिस जैसे कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
औपचारिक तैयारी: आक्षय तृतीया (30 अप्रैल 2025) के दिन से प्रारंभ हुई तैयारियों में वनों से 20 फीट लंबी ‘धारुआ’ लकड़ियाँ—जिसे पवित्र या सेक्रेड मन जाता है—तीन चक्रों के निर्माण हेतु भेजी गईं, जिनमें अगली खेप 12 मई को गंजाम से पहुंची ।
मंदिर संरचना और कोरिडोर
- पुरी में 75 मीटर लंबा श्री जगन्नाथ हेरिटेज कोरिडोर–”श्री मंदिर परिक्रमा”—जन प्रत्यावर्तन और दर्शन सुविधा हेतु तैयार किया गया है। यह परियोजना नवंबर 2021 में शुरू हुई, और जनवरी 2024 में मुख्यमंत्री नबीन पटनायक ने इसका उद्घाटन किया ।
पूरब दृष्टि: रथ यात्रा आरंभ से पूर्व
स्नान पूर्णिमा (12 जून 2025)
- 12 जून को ‘स्नान पूर्णिमा’ पर पुरी के जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के प्रतिमाओं का 108 कलशों से पवित्र स्नान कराया गया। इस स्नान के बाद ही मंदिर से प्रतिमाएं लोकदर्शन के लिए निकाली जाती हैं
अनवसर (13–26 जून 2025)
- स्नान के तुरंत बाद शुरू हुआ यह 15‑दिनों का विशेष दौर “अनवसर” कहलाता है, जिसमें प्रतिमाएं रथ यात्रा तक सार्वजनिक दर्शन से दूर रखी जाती हैं ।
गुंडिचा मर्जना (26 जून 2025)
- 26 जून को पुरी के गुंडिचा मंदिर की संपूर्ण सफाई होती है—यह अनुष्ठान ‘गुंडिचा मर्जना’ कहलाता है, जब मंदिर को सौंदर्य और श्रद्धा के साथ सजाया जाता है ।
मुख्य दिन (27 जून 2025): श्री रथ यात्रा
- तिथि: 27 जून 2025 (आषाढ़ शुक्ल द्वितीया)
- किंवदंतियों के अनुसार, यह रथ यात्रा “घोषा यात्रा” भी कहलाती है—भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की यात्रा उनका दैनिक जीवन छोड़कर चतुर्दिकाटन का प्रतीक होती है
रथों का शिल्प
- तीन विशाल और आकर्षक रथ हैं:
- नन्दीघोष – भगवान जगन्नाथ का
- तलध्वज – भगवान बलभद्र का
- दर्पदालन – देवी सुभद्रा का
- ये रथ पूरे संरचना में शुद्ध द्वारिक (नीम) लकड़ी से निर्मित, बिना किसी गंभीर धातु अभिकल्प से बने होते हैं.
अनोखी पहल: एयरफोर्स टायर
- कोलकाता में पहली बार इस वर्ष रथों में भारतीय वायुसेना के सुखोई विमान के पुराने टायर लगाए गए हैं। यह कदम 48 वर्षों में पहला ऐसा कदम है, जो नवीकरण व पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण प्रस्तुत करता है ।
सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व
- रथ यात्रा स्वयं एक सार्वजनिक एकता और आध्यात्मिक समरसता का संकेत है। दूरदराज से लाखों श्रद्धालु पुरी की ओर आते हैं—इस वर्ष फिल्में, मीडिया और संगठनों द्वारा कुल 4–5 लाख लोग अनुमानित ।
सुरक्षा व व्यवस्थाएं
पुलिस और एटीएस तैनाती
- इस साल के रथ यात्रा में एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड) पहली बार तैनात किया गया है; इसमें शहरी वारफेयर प्रशिक्षित कमांडो शामिल हैं ।
- लगभग 70 थाना‑प्लाटून, बुलेट-प्रूफ वाहन “रक्षक”, AI-enabled CCTV, ड्रोन और तट-एरिया सुरक्षा भी तैनात किये गए.
ट्रांसपोर्टेशन निगरानी
- ओडिशा में RTO और ट्रांसपोर्ट विभाग ने बस ऑपरेटरों को दर वृद्धि पर सख्त चेतावनी दी; दरें 0.89 ₹/किमी (साधारण) से लेकर 2.41 ₹/किमी (सुपर‑प्रीमियम) तय की गईं हैं ।
- 100 मुफ्त ऑटो उपलब्ध कराए जाएंगे और दुर्घटना नियंत्रण हेतु भी मार्ग सुविधा की गई है ।
शहरों में सुरक्षा की स्थिति
- अहमदाबाद में रथ यात्रा से 2 सप्ताह पूर्व जल यात्रा पर काई हटाने की राताधर ऑप्रेशन, बाइक ‘बुलेट मार्च’, ड्रोन, AI-सीसीटीवी, ट्रैफिक डायवर्सन आदि मजबूत इंतजाम किए गए ।
तकनीक माध्यम से सुविधा
- पुरी प्रशासन का ‘श्री जगन्नाथ धाम’ ऐप लॉन्च किया गया है, जिसमें लाइव अपडेट, अनुष्ठान समय सारणियाँ और रूट नेविगेशन उपलब्ध है। यह पहली बार तकनीक का व्यापक उपयोग धार्मिक आयोजन में किया गया.
यात्राक्रम: स्नान से निवेदन तक
क्रम | अनुष्ठान | विवरण |
---|---|---|
1 | स्नान पूर्णिमा | 108 कलश स्नान (12 जून) |
2 | अनवसर | प्रतिमाओं का 13–26 जून तक प्रकट न होना |
3 | गुंडिचा मर्जना | चउपहला सफ़ाई (26 जून) |
4 | रथ यात्रा | तीन रथों की प्रभु पूजा (27 जून) |
5 | बहुड़ा यात्रा | गूंडिचा से वापसी यात्रा (4 जुलाई) |
6 | सुना भेषा | सोने के आभूषणों में भगवान (5 जुलाई) |
7 | नीलाद्रि विजय | रोकड़े चुप में वापसी व मीठा प्रसाद |
धार्मिक-सामाजिक स्पन्दन
बहुआयामी भक्तियात्रा
इस त्यौहार में सभी वर्ग, उम्र और क्षेत्र के लोग सम्मिलित होते हैं। दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, मुंबई आदि शहरों में स्थानीय रथ यात्रा मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जिन्हें स्थानीय उत्सव कहा जाता है
विवादास्पद पहल: ISKCON व पुरी मंदिर
- ISKCON (ह्यूस्टन सहित) द्वारा आयोजित “अनटाइमली” रथ यात्राओं के विरोध में पुरी सिद्धांत स्थापित करके कहा कि रथ यात्रा आषाढ़‑शुक्ल द्वितीय से 10वीं तिथि तक ही होनी चाहिए।
- मार्च 2025 में हुई बैठकों में अभी तक इस पर अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला है ।
- पुरी के राजघराने व SJTA से आग्रह किया गया कि विश्वभर ISKCON इसी तिथि का पालन करें; मौजूदा बैठक में इसे सकारात्मक माना गया, पर अभी तक अंतिम निर्णय बाकी है
वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव
क्षेत्रीय विविधताएं
- दिल्ली NCR में थ्यागराज नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में 27 जून 2025 को दिल्ली की सबसे बड़ी रथयात्रा होगी, जिसमें भजन‑नाट्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लंगर, मेडिकल सुविधा और सुरक्षा व्यवस्था है ।
- अहमदाबाद में भी सामूहिक समारोह और पुलिस द्वारा ‘बुलेट मार्च’ में सुरक्षा समीक्षा की जा चुकी है ।
पर्यटकीय दृष्टिकोण
- पुरी में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है—इस वर्ष 25 लाख से अधिक लोगों की उम्मीद है ।
- नक्शे में शहरी सुविधाओं (सफाई, नदियों की सफाई, सार्वजनिक शौचालय) को अत्यधिक प्राथमिकता दी जा रही है।
फाइनल थॉट्स
- आध्यात्मिक पुनरुद्धार: रथ यात्रा जीवन के मूल्यों जैसे नम्रता, आत्मसमर्पण, ईश्वर‑लोकप्रियता और सामाजिक सद्भाव की शिक्षा देती है।
- रिवाज × टेक्नोलॉजी: एयर फ़ोर्स टायर, AI-CCTV, मोबाइल ऐप – इनका संयोजन धार्मिक अनुशासन में आधुनिकता जोड़ रहा है।
- सुरक्षा‑समितियों की आवाहन: नागरीक सुरक्षा, परिवहन व्यवस्था और भेदभाव‑रहित पूजा सुनिश्चित करना प्रशासन की प्रमुख प्राथमिकता है।
- वैश्विक एकता: मंदिर‑ISKCON विवाद आने से यह बोध होता है कि पुरातन परंपराओं का सम्मान वैश्विक समुदाय के लिए भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 सिर्फ एक यात्रा नहीं, भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने‑बाने का प्रतीक है। जहाँ आधुनिकता और आध्यात्मिकता का मेल साफ दिखाई देता है, वहाँ सुरक्षा‑प्रवतंत्र हमारी श्रद्धा का सम्मान बनाए रखने का जिम्मेदार बन गया है। इस वर्ष का 27 जून और उसके बाद के दिन—बहुड़ा यात्रा, सुना भेषा, नीलाद्रि विजय—सब मिलकर एक जीवंत, उमंग‑भरा, पूरी दुनिया में फैला त्योहार लेकर आएंगे।
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