ईशान थरूर, वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बेटे, हाल ही में एक सार्वजनिक संवाद के केंद्र में रहे हैं, जब उन्होंने अमेरिका में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अपने पिता से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल किया। यह घटना न केवल उनके पत्रकारिता कौशल को दर्शाती है, बल्कि भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीतियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को भी उजागर करती है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पिता-पुत्र का संवाद
अमेरिका में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, ईशान थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पारदर्शिता और वैधता पर सवाल उठाया। यह ऑपरेशन भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा पहलगाम में आतंकवादियों के खिलाफ किया गया था, जिनका संबंध 2008 के मुंबई हमलों से था। शशि थरूर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह अनुमति नहीं दी जानी चाहिए,” और आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई को आवश्यक बताया।
ईशान थरूर: एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार
ईशान थरूर ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ में वरिष्ठ पत्रकार हैं और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर गहन विश्लेषण करते हैं। उन्होंने 2021 में ‘आर्थर रॉस मीडिया अवार्ड’ प्राप्त किया, जो कूटनीति और विदेश नीति पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए दिया जाता है। उन्होंने येल विश्वविद्यालय से इतिहास और जातीयता, नस्ल और प्रवासन में डिग्री प्राप्त की है।
अमेरिकी नागरिकता और वैश्विक दृष्टिकोण
ईशान ने 2020 में अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की, यह स्वीकार करते हुए कि अमेरिका उनका घर है और वे यहां की संस्कृति और मूल्यों से गहराई से जुड़े हुए हैं। उनका यह निर्णय उनकी वैश्विक दृष्टिकोण और बहुसांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
पिता-पुत्र के संबंध और विचारों का टकराव
ईशान और शशि थरूर के बीच सार्वजनिक मंचों पर विचारों का आदान-प्रदान अक्सर देखा गया है। उदाहरण के लिए, 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान, ईशान ने अपने पिता के संसद जाने के निर्णय की आलोचना की थी, इसे “बूमर” मानसिकता करार देते हुए। यह दर्शाता है कि दोनों के बीच विचारों का टकराव होता है, लेकिन यह संवाद लोकतांत्रिक मूल्यों और पारिवारिक संबंधों की गहराई को भी उजागर करता है।
निष्कर्ष
ईशान थरूर की पत्रकारिता और उनके पिता शशि थरूर के साथ सार्वजनिक संवाद न केवल भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रकाश डालते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन एक-दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं। उनकी कहानियां हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि लोकतंत्र, पारदर्शिता और संवाद कैसे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Leave a Reply