दिल्ली इन दिनों एक बार फिर से यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से जूझ रही है। राजधानी की जीवनरेखा मानी जाने वाली यमुना नदी इस समय उफान पर है और हथनीकुंड बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी के कारण इसका जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, यमुना का जलस्तर 204.60 मीटर तक पहुंच चुका है। यह स्तर चेतावनी की सीमा 204.50 मीटर को पार कर चुका है और अब 205.33 मीटर के खतरे के निशान के बेहद करीब है। इस स्थिति ने प्रशासन और निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
हथनीकुंड बैराज से छोड़ा जा रहा पानी बना मुख्य वजह
हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित हथनीकुंड बैराज से इन दिनों लगातार भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी सीधे दिल्ली की ओर आता है और यहां यमुना के जलस्तर को प्रभावित करता है। मानसून के मौसम में अक्सर जब उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में तेज बारिश होती है, तब बैराज से अतिरिक्त पानी छोड़ा जाता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। बैराज से छोड़े गए पानी का असर दो से तीन दिनों के भीतर दिल्ली में देखने को मिलता है। यही वजह है कि राजधानी में यमुना का जलस्तर अचानक बढ़कर खतरे की सीमा को पार करने के करीब पहुंच गया है।
चेतावनी स्तर से ऊपर, खतरे के निशान के पास
दिल्ली में यमुना का चेतावनी स्तर 204.50 मीटर तय किया गया है। जैसे ही जलस्तर इस स्तर को पार करता है, बाढ़ नियंत्रण विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सक्रिय हो जाते हैं। फिलहाल नदी 204.60 मीटर तक पहुंच चुकी है। अब यह खतरे के निशान 205.33 मीटर से केवल 73 सेंटीमीटर ही दूर है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बैराज से पानी का बहाव इसी तरह जारी रहा, तो अगले 24 घंटों में नदी का स्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है।
किन इलाकों पर मंडरा रहा है सबसे बड़ा खतरा
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा असर निचले इलाकों पर पड़ता है। खासकर पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और मध्य दिल्ली के कुछ हिस्से बाढ़ की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। आईटीओ पुल, लोहे का पुल (श्मशान घाट के पास), मजनूं का टीला, कुदसिया घाट और यमुना बाजार इलाके सबसे पहले प्रभावित होते हैं। यहां रह रहे लोग नदी के जलस्तर बढ़ते ही पलायन करने लगते हैं। इसके अलावा कालंदी कुंज, सोनिया विहार और बदरपुर बॉर्डर जैसे क्षेत्र भी जलभराव की मार झेलते हैं।
प्रशासन ने कसी कमर
दिल्ली प्रशासन ने यमुना के जलस्तर को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। बाढ़ नियंत्रण विभाग ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को पहले ही सतर्क कर दिया है। नावों, राहत सामग्री और बचावकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रशासन ने उन क्षेत्रों की पहचान भी कर ली है, जहां जलभराव और बाढ़ की स्थिति बनने की आशंका है। दिल्ली सरकार का दावा है कि राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा सके।
यमुना किनारे बसे लोगों की मुश्किलें
यमुना किनारे अस्थायी घरों में रहने वाले लोग हर साल इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। नदी का जलस्तर बढ़ते ही उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। हजारों परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़ते हैं और सुरक्षित जगहों की ओर पलायन करना पड़ता है। मवेशियों और सामान को लेकर ये लोग अस्थायी शिविरों में पहुंचते हैं। कई बार तो उन्हें सिर्फ सबसे जरूरी सामान ही साथ ले जाना पड़ता है। इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही बनती दिख रही है।
दिल्लीवासियों के लिए चिंता का सबब
यमुना नदी का बढ़ता जलस्तर केवल निचले इलाकों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका असर पूरे शहर में देखने को मिलता है। जलभराव के कारण यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है। आईटीओ पुल और मथुरा रोड जैसे मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक जाम आम हो जाता है। इसके अलावा कई इलाकों में सीवेज सिस्टम फेल हो जाता है और गंदा पानी घरों तक घुस आता है। ऐसे में बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की राय
जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में हर साल बाढ़ की स्थिति इसलिए बनती है क्योंकि शहर की प्लानिंग यमुना के बाढ़ क्षेत्र को ध्यान में रखकर नहीं की गई। नदी के किनारे तेजी से अवैध निर्माण हुए हैं। ऐसे में जैसे ही जलस्तर बढ़ता है, निचले इलाके तुरंत पानी में डूब जाते हैं। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जब तक दिल्ली यमुना बाढ़ क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक नहीं लगाएगी और नदी की प्राकृतिक धारा को बहने का रास्ता नहीं मिलेगा, तब तक ऐसी समस्या हर साल बनी रहेगी।
पिछले साल की स्थिति से तुलना
पिछले साल भी यमुना का जलस्तर अचानक बढ़ने से दिल्ली में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। उस समय जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जो खतरे के निशान से कहीं ज्यादा था। नतीजतन, दिल्ली के कई हिस्सों में पानी भर गया था, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी। इस बार अभी जलस्तर खतरे के निशान को पार नहीं कर पाया है, लेकिन अगर पानी का बहाव इसी तरह जारी रहा, तो हालात पिछले साल जैसे गंभीर हो सकते हैं।
प्रशासन की चुनौतियाँ
दिल्ली प्रशासन के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती है लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना और जलभराव वाले क्षेत्रों में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना। बाढ़ नियंत्रण विभाग ने दावा किया है कि उसके पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पहले से ठोस इंतजाम नहीं किए गए।
निष्कर्ष
फिलहाल दिल्ली में यमुना का जलस्तर 204.60 मीटर पर है और यह खतरे की सीमा 205.33 मीटर के बेहद करीब पहुंच चुका है। स्थिति गंभीर होती जा रही है और प्रशासन अलर्ट पर है। ऐसे में दिल्लीवासियों को भी सावधानी बरतनी होगी। यमुना किनारे रहने वाले लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना होगा, क्योंकि अगर पानी का स्तर और बढ़ा तो हालात पिछले साल से भी ज्यादा खराब हो सकते हैं। यह समय प्रशासन और जनता दोनों के लिए बड़ी परीक्षा का है।
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