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Prwalapatrakar वोटरों की व्यथा: Boring Road (Nageshwar Colony) में बंदरों का आतंक, प्रशासन मौन और वोट की ज़िम्मेदारी

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Madhuyanka Raj
November 3, 2025
Prwalapatrakar वोटरों की व्यथा: Boring Road (Nageshwar Colony) में बंदरों का आतंक, प्रशासन मौन और वोट की ज़िम्मेदारी

Boring Road के नजदीक स्थित Nageshwar Colony में पिछले कुछ महीनों से एक डरावना बदलाव आया है — बंदरों की संख्या बढ़ती जा रही है और उनके हमलों की खबरें आम बात बन चुकी हैं। आए दिन बंदर होस्टल, घरों और गलियों में घुस आते हैं; खाना छीनते हैं, कपड़े फाड़ते हैं और कभी-कभी लोगों को काट भी देते हैं। रात के समय लोग छत पर नहीं जा पाते, बच्चे बाहर खेलने से डरते हैं और महिलाएँ घर के अंदर ही सिमट कर रह जाती हैं। यह सिर्फ एक मोहल्ले की समस्या नहीं—यह शहर और राज्य की उस असफल नीत‍ि की परछाई है जो जमीनी स्तर पर असर दिखा रही है।

समस्या बड़ी है, मगर जवाब नहीं

लोग शिकायत करते हैं — वन विभाग कहां है? वार्ड के पार्षद और स्थानीय प्रतिनिधि क्यों चुप हैं? जवाब कुछ सुनने को नहीं मिलता। समय-समय पर प्रशासनिक वृहद अभियान की खबरें आती हैं, पर असलियत यह है कि कुछ ही दिनों में बंदरों की संख्या फिर बढ़ जाती है और वही दहशत लौट आती है। यही नहीं, बिहार के अन्य हिस्सों में भी बंदरों के हमलों और काटने की घटनाएँ मिली-जुली रिपोर्ट में दर्ज हैं — यह एक व्यापक समस्या बनती जा रही है जिसे केवल पकड़-छोड़ के अभियानों से पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

ज़मीनी असर — लोगों की ज़िन्दगी दाँव पर

Nageshwar Colony के निवासी बताते हैं कि बंदर रात में घरों में घुस आते हैं, रसोई का सामान छीन लेते हैं, बरामदे और बालकनी को चरागाह समझ बैठते हैं। बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। बहुत-सी घरेलू चीज़ें बर्बाद हो चुकी हैं; कुछ जगहों पर लोग छतों पर जाल लगा कर रहने को मजबूर हैं। दुख की बात यह है कि इन घटनाओं में घायल या मरने की खबरें भी सामने आई हैं—ऐसे हादसे समाज में डर और असुरक्षा पैदा करते हैं।

कौन ज़िम्मेदार है — वन विभाग, नगर निगम या राजनीतिक प्रतिनिधि?

यहाँ दो तरह की ज़िम्मेदारियाँ बनती हैं — तकनीकी और राजनीतिक। तकनीकी ज़िम्मेदारी वन विभाग की है कि वे पारिस्थितिकी और जंगली प्राणी प्रबंधन कर रहे हैं; साथ ही नगर निगम/नगर निकाय का दायित्व भी है कि वह लोगों की सुरक्षा और साफ़-सफाई सुनिश्चित करे। दूसरी ओर, वार्ड पार्षद, स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन को नागरिकों की शिकायतों पर सक्रिय होना चाहिए — पर अक्सर ये शिकायतें लंबित रह जाती हैं या आधे-अधूरे वादे करके टाल दी जाती हैं। जब प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब लोग निराश हो कर मीडिया और निजी उपायों पर निर्भर हो जाते हैं। कई बार समस्या का वास्तविक कारण वृक्षों की कटाई, आवासीय विकास और खाने की उपलब्धता में बदलाव होता है — जिनपर योजना बनाकर काम करना जरूरी है।

राजनीतिक कनेक्शन: चुनाव के समय मुद्दों की अनदेखी महंगी पड़ेगी

चुनाव नज़दीक हैं और हर पार्टी चुनावी वादों का शोर कर रही है—स्वास्थ्य, सुरक्षा, नौकरी और विकास के वादे। पर असली परीक्षा तब होगी जब वोट मिल जाने के बाद सप्ताह-दर-सप्ताह की समस्याएँ हल करनी हों। अगर अब आप Nageshwar Colony जैसे मोहल्लों के रोज़मर्रा के मुद्दों — जैसे बंदर आतंक, कूड़ा-प्रबंधन, वृक्षारोपण और वन-मानव संघर्ष — पर प्रतिनिधियों को जवाबदेह नहीं बनाएंगे, तो वही लोग अगले पाँच साल आपकी रोज़मर्रा की परेशानियों को अनदेखा कर सकते हैं। स्थानीय प्रतिनिधि (वार्ड सदस्य, पार्षद, विधायक) की सक्रियता इसलिए जरूरी है क्योंकि वे नज़दीकी स्तर पर समस्याओं का समाधान करवा सकते हैं। राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्र में इन जमीनी मुद्दों की स्पष्ट नीति न हो तो उसे चुनौती देना नागरिकों की ज़िम्मेदारी है।

क्या किया जा सकता है — नागरिकों के लिए व्यावहारिक सुझाव
  1. शिकायत का रिकॉर्ड बनाएं: हर शिकायत का लिखित रिकॉर्ड रखें — ईमेल, आवेदन, ट्विटर/फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट। जब कई लोग साथ मिलकर दबाव बनाएँगे तो प्रशासन सक्रिय होगा।
  2. वार्ड स्तर पर जनसभा करें: पड़ोसियों के साथ मिलकर वार्ड मीटिंग बुलाएँ और पार्षद को बुलाकर स्पष्ट समयसीमा माँगें।
  3. वन विभाग से साझेदारी: वैज्ञानिक तरीके (जैसे रेस्क्यू, री-लोकेशन, फल-वितरण हटाना, वृक्षारोपण) पर जोर दें—पंचायती स्तर पर वन विभाग को सक्रिय करवा सकते हैं।
  4. स्थानीय मीडिया और Prwalapatrakar से संपर्क: स्थानीय पत्रकारों को केस दिखाएँ—नज़दीकी रिपोर्टिंग से मामला तवज्जो पाता है।
  5. निर्णायक वोट: चुनाव में उन प्रत्याशियों को प्राथमिकता दें जो इन जमीनी मुद्दों के लिए स्पष्ट नीति और ट्रैक रिकॉर्ड रखते हों।
पाठकों से अपील — अपना वोट सोच-समझकर दें

अगले पाँच साल के लिए आप जो प्रतिनिधि चुनेंगे, वे आपकी छोटी-छोटी परेशानियों का हल कर पाएँगे या नहीं—यह आपके वोट से तय होगा। Prwalapatrakar वोटरों की व्यथा यही है कि हम बड़ी-बड़ी योजनाओं की चमक में छोटे, ज़रूरी मुद्दों को भूल जाते हैं। बंदर का आतंक, सफ़ाई, कचरे का निपटान, स्थानीय स्वास्थ्य सेवाएँ—ये रोज़मर्रा के मुद्दे हैं जो आपके परिवार की सुरक्षा और जीवनशैली को प्रभावित करते हैं। चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को चुनें जो ज़मीन पर सक्रिय हों, जवाबदेह हों और जिनके पास ठोस काम करने की नीति हो। हमारे चुनावी निर्णय हमारे अगले पाँच साल के जीवन का नक़्शा तय करेंगे — इसलिए आज सोच-समझकर वोट दें।

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