क्या किसी अभिनेता को, खिलाड़ी को, स्टार को देखने की इतनी बेचैनी होती है कि लोग एक भीड़ बन जाते है और उसी भीड़ में ओनी जान गवां बैठते है. आखिर ये क्या रहा है? ये भीड़, ये भगदड़, ये मौतें ये सब क्यों? एक सितारे को अपनी आँखों से देखने के लिए बस?
पिछले 10 दिनों में ये दूसरी बार है जब किसी स्टार को देखने के भीड़ इतनी है कि लोग एक एक ऊपर एक चढ़कर देखना चाहते है और ये भूल जाते है कि जान है तो जहान है. कुछ दिन पहले हाउसफुल 5 के प्रमोशन के लिए अक्षय कुमार, फरदीन खान, नरगिस फाखरी,सौंदर्या शर्मा, जैकलीन फर्नांडीज, नाना पाटेकर और सोनम बाजवा सहित रविवार को पुणे के एक मॉल पहुंचे. जहाँ लोगो की इतनी भीड़ आ गयी कि अक्षय कुमार हाथ जोड़कर सबसे निवेदन करने लगे कि आपलोग आराम से रहिये यहाँ बच्चे है, महिलाएं है बूढ़े है. अब जरा सोचिये कि एक स्टार अपने फिल्म के प्रमोशन के लिए आया और वो लोगो से हाथ जोड़ रहा है ताकि वहां भगदड़ ना मचे..
एक दूसरा बड़ा हादसा हुआ जब आरसीबी ने आईपीएल जीता. कल यानी 4 जून 2025 को बेंगलुरु पहुंचे आरसीबी के खिलाडियों को देखने का हुजूम ऐसा आया कि वहां भगदड़ मच गयी. दरअसल आरसीबी ने 18 साल बाद आईपीएल ट्राफी जीता है और उसी जश्न को मनाने के लिए आरसीबी की टीम चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंची. वहां फैंस इतने आ गए कि स्टेडियम में जगह कम पड़ गयी. और विधानसभा के आसपास उमड़ी लाखों की भीड़ ने संयम खो दिया. वहां पहुंचे लोगो में इतना जोश था कि वो अन्दर जाने के लिए हर मस्सकत कर रहे थे और उसी भगदड़ में 11 लोगो की मौत हो गयी, कई लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भारती कराया गया.
भीड़ इतनी बेकाबू हो चुकी थी कि पुलिस प्रशासन कुछ कर नहीं पायी. घटना के बाद वहां मौजूद लोग, पुलिसकर्मी गोद में उठाकर घायल लोगो को अम्बुलेंस तक ले जा रहे थे. और सबसे बड़ी बात यह है कि बाहर इतना कुछ होने के बाबजूद अन्दर जश्न चल रहा था. बाहर का मौत का मंजर था तो अन्दर जश्न का जूनून. विराट कोहली को एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचने वाले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का कहना है कि जश्न सिर्फ थोड़ी देर चला. सोचिए लोगों की मौत के बाद अगर एक मिनट भी जश्न मना, तालियां बजीं, ठहाके लगे, फ्लाइंग किस दिए गए तो इससे ज्यादा अमानवीयता और निर्दयता क्या हो सकती है.
जब खुद सरकार एक जश्न का नेतृत्व करेगी. खेल की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश करेगी. भीड़ को रोकने और उसके सही प्रबंधन की जगह खुद झंडा लेकर घूमेगी तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जाएगी? जब नेता इस तरह जश्न मनाएंगे तो जनता तो उनके पीछे पागल होगी ही.
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